What if I become India's Prime Minister? | Dhruv Rathee

 what is said Dhruv Rathee in the video let's see in text




 नमस्कार दोस्तों! क्या होता अगर मैं देश का प्रधानमंत्री होता? मैंने अपने बहुत से वीडियो में अलग-अलग मुद्दों पर सरकार की आलोचना की है, जहां-जहां मुझे लगा कि कुछ गलत हुआ है, वहां-वहां सवाल उठाया है। लेकिन एक सवाल यह भी बनता है कि अगर मैं सरकार की जगह होता, तो मैं क्या करता? देखो, वैसे तो फिलहाल पॉलिटिक्स में आने की मेरी कोई ख्वाहिश नहीं है, लेकिन अगर हमें देश को सही मायनों में बेहतर बनाना है, तो इस सवाल पर विस्तार में बात करनी जरूरी है क्योंकि सपने पूरे होने के लिए हमें पहले सपने देखना जरूरी है।


हमारे सपनों का देश कैसा होगा और उसके लिए क्या कुछ किया जाना चाहिए, आइए जानते हैं। आज के इस स्पेशल वीडियो में मैं, ध्रुव राठी, सत्यनिष्ठा के साथ शपथ लेता हूँ कि विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा तथा मैं भय और पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।


जब हम देश को स्वर्ग बनाने की बात करते हैं, तो अंग्रेजी में इसके लिए एक शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है - 'प्रॉस्पेरिटी'। और प्रॉस्पेरिटी की बात करते हुए इंग्लिश में हमेशा कहा जाता है 'पीस एंड प्रॉस्पेरिटी' क्योंकि प्रॉस्पेरिटी बिना पीस के नहीं मिल सकती। पीस यानी शांति और सेफ्टी किसी भी देश की नींव की तरह है। इसके कई हिस्से हो सकते हैं, जैसे कि बॉर्डर सिक्योरिटी, आतंकवादी हमलों से सेफ्टी, दंगे, लिंचिंग्स, और क्राइम।


बॉर्डर सिक्योरिटी:

अगर कोई दूसरा देश हमारे देश के खिलाफ जंग पर जाए या हमारे बॉर्डर्स को इन्फिल्ट्रेट करने की कोशिश करें, तो हमारी डिफेंस फोर्सेस फाइट बैक करें और हमारी सेफ्टी सुनिश्चित करें।


आतंकवादी हमलों से सेफ्टी:

हमने साल 2001 में पार्लियामेंट पर टेरर अटैक, 2008 में मुंबई टेरर अटैक, 2015 में गुरदासपुर आतंकवादी हमला, 2019 में पुलवामा हमला, 2023 में जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस टेरर अटैक, और हाल ही में रियासी आतंकवादी हमला देखा, जहां नौ लोगों ने अपनी जान गंवाई। हमें इन सभी तरीकों के आतंकवाद से सेफ्टी चाहिए।


दंगे:

धर्म या एथनिक क्लैशेस के नाम पर हुए दंगे, जैसे कि 2020 में दिल्ली के दंगे। एनसीआरबी डाटा के अनुसार 2017 से 2021 के बीच 2900 से ज्यादा कम्यूनल और रिलीजस राइटिंग के केसेस रजिस्टर किए गए थे।


लिंचिंग्स:

कभी धर्म के नाम पर लिंचिंग्स, जैसे कि साधू और उनके ड्राइवर्स को मारा गया या फिर सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोहम्मद आजम की लिंचिंग।


क्राइम:

एनसीआरबी डाटा के अनुसार 2022 में 2852 मर्डर केसेस रजिस्टर किए गए थे। हमें हिट एंड रन और रोड रेज के केसेस देखने को मिलते हैं।


एक्सीडेंट्स:

ओपन पिट्स और मैन होल्स की वजह से, रेलवे एक्सीडेंट्स, और खराब दवाइयों की वजह से होने वाले मौतें।

अब, अगर मैं प्रधानमंत्री होता, तो मैं इस धारणा को बदलूंगा कि एक आम इंसान की जिंदगी की कीमत कम है। संविधान के अनुसार हर किसी की जान की कीमत समान होनी चाहिए। 


सोल्यूशंस की पहली स्टेप:

प्रॉब्लम को डायग्नोज करना। जब तक बीमारी नहीं पता होगी, तब तक दवाई देने का कोई फायदा नहीं है।


सेफ्टी और सिक्योरिटी:

हर किसी के लिए सेफ्टी और सिक्योरिटी सुनिश्चित करनी होगी। अगर लोकल पुलिस स्टेशन एफआईआर दर्ज करने से मना करता है, तो लोगों के लिए एक ऐसी फैसिलिटी होनी चाहिए कि वे एसपी के ऑफिस में जा सकें और वहां पर एफआईआर दर्ज करा सकें।


मेंटल हेल्थ:

आर्मी और पुलिस के लिए मेंटल हेल्थ प्रैक्टिशनर्स को हायर करना, ताकि सोल्जर्स की आत्महत्या दर को कम किया जा सके।


एजुकेशन बजट:

एजुकेशन बजट को तीन से चार गुना बढ़ाना।


कॉर्पोरेट टैक्स:

कॉर्पोरेट टैक्स को बढ़ाकर पैसे जुटाना और बजट की रिएलोकेशन से पैसा निकालना।


इस तरह के सॉल्यूशंस लागू करके हम अपने देश को बेहतर बना सकते हैं। आपके विचार क्या हैं?

if you want a see Dhruv rathee what say you watch their video on YouTube

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